Short Motivational Story in Hindi

9 Best Short Motivational Story in Hindi प्रेरणादायक छोटी हिंदी कहानियाँ 2022

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Short Motivational Story in Hindi

STORY 1 :

एक राजा और सुप्रसिद्ध नर्तकी

एक राजा को राज करते काफी समय हो गया था।

बाल भी सफेद होने लगे थे।

एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने मित्र देश के राजाओं को भी सादर आमन्त्रित किया व अपने गुरुदेव को भी बुलाया।

उत्सव को रोचक बनाने के लिए राज्य की सुप्रसिद्ध नर्तकी को भी बुलाया गया।

राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्रायें अपने गुरु जी को भी दी, ताकि नर्तकी के अच्छे गीत व नृत्य पर वे भी उसे पुरस्कृत कर सकें।

सारी रात नृत्य चलता रहा। ब्रह्म मुहूर्त की बेला आई, नर्तकी ने देखा कि मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है और तबले वाले को सावधान करना जरूरी है, वरना राजा का क्या भरोसा दंड दे दे।

तो उसको जगाने के लिए नर्तकी ने एक दोहा पढ़ा –

“घणी गई थोड़ी रही, या में पल पल जाय!
एक पलक के कारणे, युं ना कलंक लगाय।”

अब इस दोहे का अलग-अलग व्यक्तियों ने अपने अनुरुप अर्थ निकाला।

तबले वाला सतर्क होकर बजाने लगा।

जब यह दोहा गुरु जी ने सुना, तो गुरुजी ने सारी मोहरें उस नर्तकी को अर्पण कर दी।

दोहा सुनते ही राजकुमारी ने भी अपना नौलखा हार नर्तकी को भेंट कर दिया।

दोहा सुनते ही राजा के युवराज ने भी अपना मुकुट उतारकर नर्तकी को समर्पित कर दिया।

राजा बहुत ही अचम्भित हो गया।

सोचने लगा रात भर से नृत्य चल रहा है पर यह क्या!

Short Motivational Story in Hindi प्रेरणादायक कहानियाँ

अचानक एक दोहे से सब अपनी मूल्यवान वस्तु बहुत ही ख़ुश हो कर नर्तकी को समर्पित कर रहें हैं ?

राजा सिंहासन से उठा और नर्तकी को बोला एक दोहे द्वारा एक नीच या सामान्य नर्तकी होकर तुमने सबको लूट लिया।

जब यह बात राजा के गुरु ने सुनी तो गुरु के नेत्रों में आँसू आ गए और गुरुजी कहने लगे – “राजा ! इसको नीच नर्तकी मत कह, ये अब मेरी गुरु बन गयी है, क्योंकि इसके दोहे ने मेरी आँखें खोल दी हैं।

दोहे से यह कह रही है कि मैं सारी उम्र जंगलों में भक्ति करता रहा और आखिरी समय में नर्तकी का मुज़रा देखकर अपनी साधना नष्ट करने यहाँ चला आया हूँ, भाई! मैं तो चला।” यह कहकर गुरुजी तो अपना कमण्डल उठाकर जंगल की ओर चल पड़े।

राजा की लड़की ने कहा – “पिता जी ! मैं जवान हो गयी हूँ। आप आँखें बन्द किए बैठे हैं, मेरा विवाह नहीं कर रहे थे। आज रात मैं आपके महावत के साथ भागकर अपना जीवन बर्बाद करने वाली थी। लेकिन इस नर्तकी के दोहे ने मुझे सुमति दी, कि जल्दबाज़ी न कर, हो सकता है तेरा विवाह कल हो जाए, क्यों अपने पिता को कलंकित करने पर तुली है ?”

युवराज ने कहा – महाराज ! आप वृद्ध हो चले हैं, फिर भी मुझे राज नहीं दे रहे थे। मैं आज रात ही आपके सिपाहियों से मिलकर आपको मारने वाला था। लेकिन इस *दोहे ने समझाया कि पगले ! आज नहीं तो कल आखिर राज तो तुम्हें ही मिलना है, क्यों अपने पिता के खून का कलंक अपने सिर पर लेता है! थोड़ा धैर्य रख।”

जब ये सब बातें राजा ने सुनी तो राजा को भी आत्म ज्ञान हो गया।

राजा के मन में वैराग्य आ गया। राजा ने तुरन्त फैसला लिया –

“क्यों न मैं अभी युवराज का राजतिलक कर दूँ।” फिर क्या था, उसी समय राजा ने युवराज का राजतिलक किया और अपनी पुत्री को कहा – “पुत्री ! दरबार में एक से एक राजकुमार आये हुए हैं। तुम अपनी इच्छा से किसी भी राजकुमार के गले में वरमाला डालकर पति रुप में चुन सकती हो।”

राजकुमारी ने ऐसा ही किया और राजा सब त्याग कर जंगल में गुरु की शरण में चला गया।

यह सब देखकर नर्तकी ने सोचा – “मेरे एक दोहे से इतने लोग सुधर गए, लेकिन मैं क्यूँ नहीं सुधर पायी ?”

उसी समय नर्तकी में भी वैराग्य आ गया। उसने उसी समय निर्णय लिया कि आज से मैं अपना नृत्य बन्द करती हूँ

“हे प्रभु ! मेरे पापों से मुझे क्षमा करना। बस… आज से मैं सिर्फ तेरा नाम सुमिरन करुँगी ।”

Short Motivational Story in Hindi (2)

Short Motivational Story in Hindi प्रेरणादायक छोटी हिंदी कहानियाँ

शिक्षा :-

दोस्तों हमने अगर किसी चीज को पाने के लिए काफी लंबा समय इंतजार किया हो तो और अगर फिर भी हमें हमेशा कुछ मात्रा में ही अगर फल मिले तो इतने छोटे से फल मिलने पर अपने भाग्य को नहीं कोसना चाहिए क्योंकि अच्छे और सबसे अच्छे समय के लिए आपको कई बार बहुत लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है और सिर्फ छोटी सफलता से दुखी होकर अपना लक्ष्य कभी भी नहीं बदलना चाहिए बल्कि अपने मेहनत को दोगुना करने की जरुरत होती है जब ईश्वर को लगेगा तो आपके अच्छे कर्मों का फल आपको अवश्य ही देंगे इसमें कोई संदेह नहीं इसलिए हमेशा धैर्य रखते हुए अपना कार्य पूरी निष्ठा से करें आपको इसका मीठा फल अवश्य ही मिलेगा।

STORY 2 :

मंदबुद्धि बालक

Short Motivational Story in Hindi (2)

विद्यालय में सब उसे मंदबुद्धि कहते थे। उसके गुरुजन भी उससे नाराज रहते थे क्योंकि वह पढ़ने में बहुत कमजोर था और उसकी बुद्धि का स्तर औसत से भी कम था।

कक्षा में उसका प्रदर्शन हमेशा ही खराब रहता था। और बच्चे उसका मजाक उड़ाने से कभी नहीं चूकते थे। पढने जाना तो मानो एक सजा के समान हो गया था, वह जैसे ही कक्षा में घुसता और बच्चे उस पर हंसने लगते, कोई उसे महामूर्ख तो कोई उसे बैलों का राजा कहता, यहाँ तक की कुछ अध्यापक भी उसका मजाक उड़ाने से बाज नहीं आते। इन सबसे परेशान होकर उसने स्कूल जाना ही छोड़ दिया।

Short Motivational Story in Hindi

अब वह दिन भर इधर-उधर भटकता और अपना समय बर्बाद करता। एक दिन इसी तरह कहीं से जा रहा था , घूमते-घूमते उसे प्यास लग गयी। वह इधर-उधर पानी खोजने लगा। अंत में उसे एक कुआं दिखाई दिया। वह वहां गया और कुएं से पानी खींच कर अपनी प्यास बुझाई। अब वह काफी थक चुका था, इसलिए पानी पीने के बाद वहीं बैठ गया। तभी उसकी नज़र पत्थर पर पड़े उस निशान पर गई जिस पर बार-बार कुएं से पानी खींचने की वजह से रस्सी का निशान बन गया था। वह मन ही मन सोचने लगा कि जब बार-बार पानी खींचने से इतने कठोर पत्थर पर भी रस्सी का निशान पड़ सकता है तो लगातार मेहनत करने से मुझे भी विद्या आ सकती है। उसने यह बात मन में बैठा ली और फिर से विद्यालय जाना शुरू कर दिया।

कुछ दिन तक लोग उसी तरह उसका मजाक उड़ाते रहे पर धीरे-धीरे उसकी लगन देखकर अध्यापकों ने भी उसे सहयोग करना शुरू कर दिया। उसने मन लगाकर अथक परिश्रम किया। कुछ सालों बाद यही विद्यार्थी प्रकांड विद्वान वरदराज के रूप में विख्यात हुआ, जिसने संस्कृत में मुग्धबोध और लघुसिद्धांत कौमुदी जैसे ग्रंथों की रचना की।

प्रेरणादायक छोटी हिंदी कहानियाँ

शिक्षा :

दोस्तों ! हम अपनी किसी भी कमजोरी पर जीत हासिल कर सकते हैं बस आवश्यकता है यहां कठिन परिश्रम और धैर्य के साथ अपने लक्ष्य के प्रति स्वयं को समर्पित करने की।

Motivational Story in Hindi 3

STORY 3 :

क्रोध और नियंत्रण 

Short Motivational Story in Hindi

एक समय की बात है। एक राजा घने जंगल में भटक गया। कई घंटों के बाद वह प्यास से व्याकुल होने लगा। तभी उसकी नजर एक वृक्ष पर पड़ी जहां एक डाली से टप-टप करती पानी की छोटी-छोटी बूंदें गिर रही थीं।

राजा ने पत्तों का दोना बनाकर पानी इकट्ठा किया, राजा जैसे ही पानी पीने लगा एक तोता आया और झपट्टा मार दोने को गिरा दिया। राजा ने सोचा पंछी को प्यास लगी होगी इसलिए वह भी पानी पीना चाहता था लेकिन गलती से उसने झपट्टा मारकर पानी को गिरा दिया।

यह सोचकर राजा फिर से खाली दोने को भरने लगा, काफी देर के बाद वह दोना फिर भर गया। राजा ने हर्षचित्त होकर जैसे ही दोने को उठाया तो तोते ने वापस उसे गिरा दिया। राजा को बहुत तेज गुस्सा आया और उसने चाबुक उठाकर तोते पर वार किया और उसके प्राण निकल गए।

राजा ने सोचा अब मैं शांति से पानी इकट्ठा कर अपनी प्यास बुझा पाऊंगा। यह सोचकर वह डाली के पास वापस पानी इकट्ठा होने वाली जगह पहुंचा तो उसके पांव के नीचे की जमीन खिसक गई।

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उस डाली पर एक जहरीला सांप सोया हुआ था और उस सांप के मुंह से लार टपक रही थी। राजा जिसको पानी समझ रहा था वह सांप की जहरीली लार थी।

राजा का मन ग्लानि से भर गया। उसने कहा काश मैंने संतों के बताए उत्तम क्षमा मार्ग को धारण कर क्रोध पर नियंत्रण किया होता तो… मेरे हितैषी निर्दोष पक्षी की जान नहीं जाती।

शिक्षा :-

जल्दबाजी और बिना सोचे-विचारे किया काम हमेशा परेशानी और पश्चाताप का कारण बनता है।

Motivational Story in Hindi 4

STORY 4 :

लालच बुरी बला है

Short Motivational Story in Hindi (2)

एक बार एक बुढ्ढा आदमी तीन गठरी उठा कर पहाड़ की चोटी की ओर बढ़ रहा था। रास्ते में उसके पास से एक हष्ट – पुष्ट नौजवान निकाला। बुढ्ढे आदमी ने उसे आवाज लगाई कि बेटा क्या तुम मेरी एक गठरी अगली पहाड़ी तक उठा सकते हो ? मैं उसके बदले इसमें रखी हुई पांच तांबे के सिक्के तुमको दूंगा। लड़का इसके लिए सहमत हो गया।

निश्चित स्थान पर पहुँचने के बाद लड़का उस बुढ्ढे आदमी का इंतज़ार करने लगा और बुढ्ढे आदमी ने उसे पांच सिक्के दे दिए। बुढ्ढे आदमी ने अब उस नौजवान को एक और प्रस्ताव दिया कि अगर तुम अगली पहाड़ी तक मेरी एक और गठरी उठा लो तो मैं उसमें रखी चांदी के पांच सिक्के और पांच पहली गठरी में रखे तांबे के पांच सिक्के तुमको और दूंगा।

नौजवान ने सहर्ष प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और पहाड़ी पर निर्धारित स्थान पर पहुँच कर इंतजार करने लगा। बुढ्ढे आदमी को पहुँचते-पहुँचते बहुत समय लग गया।

जैसे निश्चित हुआ था उस हिसाब से बुजुर्ग ने सिक्के नौजवान को दे दिये। आगे का रास्ता और भी कठिन था। बुजुर्ग व्यक्ति बोला कि आगे पहाड़ी और भी दुर्गम है। अगर तुम मेरी तीसरी सोने के मोहरों की गठरी भी उठा लो तो मैं तुमको उसके बदले पांच तांबे की मोहरे, पांच चांदी की मोहरे और पांच सोने की मोहरे दूंगा। नौजवान ने खुशी-खुशी हामी भर दी।

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निर्धारित पहाड़ी पर पहुँचने से पहले नौजवान के मन में लालच आ गया कि क्यों ना मैं तीनों गठरी लेकर भाग जाऊँ। गठरियों का मालिक तो कितना बुजुर्ग है। वह आसानी से मेरे तक नहीं पहुंच पाएगा। अपने मन में आए लालच की वजह से उसने रास्ता बदल लिया।

कुछ आगे जाकर नौजवान के मन में सोने के सिक्के देखने की जिज्ञासा हुई। उसने जब गठरी खोली तो उसे देख कर दंग रह गया क्योंकि सारे सिक्के नकली थे।

उस गठरी में एक पत्र निकला। उसमें लिखा था कि जिस बुजुर्ग व्यक्ति की तुमने गठरी चोरी की है, वह वहाँ का राजा है।

राजा जी भेष बदल कर अपने कोषागार के लिए ईमानदार सैनिकों का चयन कर रहे हैं।

अगर तुम्हारे मन में लालच ना आता तो सैनिक के रूप में आज तुम्हारी भर्ती पक्की थी। जिसके बदले तुमको रहने को घर और अच्छा वेतन मिलता। लेकिन अब तुमको कारावास होगा क्योंकि तुम राजा जी का सामान चोरी करके भागे हो। यह मत सोचना कि तुम बच जाओगे क्योंकि सैनिक लगातार तुम पर नज़र रख रहे हैं।

प्रेरणादायक कहानियाँ

अब नौजवान अपना माथा पकड़ कर बैठ गया। कुछ ही समय में राजा के सैनिकों ने आकर उसे पकड़ लिया।
उसके लालच के कारण उसका भविष्य जो उज्जवल हो सकता था वह अंधकारमय हो चुका था, इसलिए कहते हैं लालच बुरी बला है।

शिक्षा :-

ज्यादा पाने की लालसा के कारण व्यक्ति लालच में आ जाता है और उसे जो बेहतरीन मिला होता है उसे भी वह खो देता है।

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