Blockchain Kya Hai ब्लॉकचैन क्या है और ब्लॉकचैन कैसे काम करता है
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नमस्ते दोस्तों… मैं सुहाना आपको आज इस Article में Blockchain Kya Hai ब्लॉकचैन क्या है और ब्लॉकचैन कैसे काम करता है, Blockchain क्या है और Cryptocurrency बनाने का इतिहास, Decentralized तकनीक क्या है, Blockchain किस तरह से काम करता है, Blockchain Network के प्रकार, Types of Blockchain Network in Hindi जैसे सभी Topic पर बात करुँगी और आशा करती हूँ कि ये Article आपके समस्या का समाधान करेगा।
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Blockchain क्या है और Cryptocurrency बनाने का इतिहास
डेविड जिनका पूरा नाम David Chaum है जो कि अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और प्रसिद्ध क्रिप्टोग्राफर थे। डेविड ने ही आज के Electronic Voting System की नींव रखी थी। शुरू से डेविड का रुझान Cryptography को एक नए Level में ले जाने की थी जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। सर्वप्रथम इन्होंने कल्पना की थी कि एक ऐसा System बनाया जाये जिसके Users Data को कोई भी बदल ना सके और Users के Data ज्यादा सुरक्षित भी हो।
कुछ समय बाद वर्ष 1983 में डेविड ने एक ऐसा Encrypted Code या Protocol तैयार किया जिससे कि किसी भी Users के Data को Secure ढंग से रखा जा सकता था और वो भी Data में बिना बदलाव किए और फिर कुछ ही समय बाद डेविड ने वर्ष 1990 में DigiCash नाम की एक Electronic Currency बनाई जिसे “A Electronic Money Corporation” नाम के Company के साथ मिलकर एक Electronic Currency बनाई। लेकिन Electronic Currency के प्रति डर होने के कारण और साथ ही उदासीनता या जागरूकता नहीं होने के कारण डेविड को यह DigiCash की Company को बंद करना पड़ा। इसके बाद डेविड ने कई और अनूठे खोज किये जिसमें Blind Signature, Mix Network जैसी कई Internet Security से सम्बंधित खोज किए।
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फिर कुछ समय बाद Stuart Haber, W. Scott Stornetta और Dave Byer नामक कंप्यूटर इंजीनियर ने क्रिप्टोग्राफी में कुछ सुधर किए फिर वर्ष 2009 में जापानी कंप्यूटर इंजीनियर Satoshi Nakamoto के Team के द्वारा दुनिया की पहली Cryptocurrency को बनाकर Launch किया गया जिसका नाम उन्होंने “Bitcoin बिटकॉइन” रखा। Satoshi Nakamoto ने अपनी पहचान को आज तक अज्ञात बनाये रखा है। अब तक Bitcoin के आने बाद दुनिया में Cryptocurrency में Trading करने वालों की कोई कमी नहीं है।
Blockchain किस तरह से काम करता है
Blockchain किसी Users Data के Record को Store करने की Electronic Space है जो जरुरत के हिसाब से Record बढ़ने के साथ आगे नए Block के जरिये जुड़ जाता है और यह क्रम आगे बढ़ती ही जाती है, जो Cryptography तकनीक के उपयोग से एक साथ आपस में जुड़े हुए रहते हैं इनमें उपस्थित हर एक ब्लॉक में अपने पिछले Block का एक Cryptographic #Hash होता है जो हर एक Blocks को अलग और Unique बनाता है इस #Hash Protocol के कार्यप्रणाली को बदला नहीं जा सकता है इसी वजह से Blockchain लाखों के Chains में होने के बावजूद भी Data में कोई गलती या बदलाव की कोई गुंजाईश नहीं होती है।
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अगर किसी Cryptocurrency के Admin या Head Miners किसी Data को बदलना चाहते हैं तो इस Condition में उसे हर एक Blocks से Users के Data को Edit करना होगा चूँकि आप अच्छे से जानते हैं कि सभी Block एक साथ जुड़े होते हैं इसलिए हर एक Blocks में Data को बदलना लगभग नामुमकिन है अगर आप ऐसे करते हैं तो आपको #Hash Protocol को बदलना होगा जो इस तकनीक का सबसे मुश्किल काम है अगर आपने Block बनाते समय एक बार जो #Hash को जो नाम Define कर दिया फिर उसे बदलना संभव नहीं है इसीलिए Blockchain की तकनीक को Users Data के लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित कहा जाता है।
Blockchains को आमतौर से हम एक Public Ledger (बही खाता) के रूप में उपयोग किया जाता है जो कि Peer-to-Peer Network(एक के साथ – एक/दूसरा जुड़ा) के द्वारा Connect रहता है।
दूसरे शब्दों में (आसान भाषा में)
Blockchain का अर्थ है कि हर एक Transaction को Complete होने के लिए एक User की सभी Data को एक Block में एकत्रित करना है और जब Cryptocurrency की Transaction बढ़ने लगती है तो एक Block पर निश्चित संख्या में Data Store होता है फिर दूसरे Block में नया Data Store होने लगता है और ये क्रम आगे बढ़ता ही जाता है जिससे Blocks की एक अनगिनत Chains मतलब श्रृंखला बनती चली जाती है और ध्यान रहे किसी भी Cryptocurrency में एक User की किसी भी Data को Edit या Delete या Modify या Remove बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता है।
सभी Blockchains के Users Data को एक Nodes में एकत्रित होता जाता है क्योंकि Nodes में Blockchains के Users Data की Copy होती जाती है और वहाँ Store हो जाती है। आज के समय में लगभग सभी Cryptocurrency पूरी तरह से Blockchain ब्लॉकचेन की तकनीक पर काम करती है।
Decentralized तकनीक क्या है और क्या इससे कीमत पर फर्क पड़ेगा
मैं आपको बताना चाहती हूँ कि हाँ बिल्कुल Decentralized तकनीक के कारण से कीमत पर फर्क पड़ेगा क्योंकि Decentralized Currency को कोई नियंत्रित नहीं कर सकता है। क्योंकि Cryptocurrency एक Encrypted Digital File होता है जिसमें कोई भी किसी भी तरह से कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता है। Data के आदान प्रदान के लिए यह Peer-to-Peer Mechanism तकनीक पर काम करती है।
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यदि कोई Cryptocurrency का उपभोक्ता (USER) किसी दूसरे उपभोक्ता (USER) को 1 Coin लेना या देना या Transfer करना चाहता है तो ऐसे Transaction के लिए उसे किसी भी Bank या Central Bank या फिर कोई सरकार के द्वारा अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि Blockchain की प्रक्रिया में मध्यस्त करने वाला कोई नहीं होता है चाहे वह कोई सरकार या तो Central Bank या Control Board या केंद्रीय नियामक नहीं होता है।
सभी उपभोक्ता का अपने Cryptocurrency अर्थात Digital Currency पर खुद का नियंत्रण होता है। Decentralized तकनीक के द्वारा से आपको किसी Bank को कमिशन या सरकार को Tax देने की जरुरत बिल्कुल नहीं है क्योंकि Blockchain की तकनीक में बीच में मध्यस्त करने वाला कोई नहीं होता है क्योंकि यह पूरी तरह से लोगों के Demand पर आधारित है। अगर किसी Cryptocurrency के डिमांड ज्यादा हो रही है तो Crypto Market में उस Currency के Rate के ऊपर High होने के Chance बढ़ेंगे और डिमांड कम रही तो Crypto Market में उस Currency के Rate के नीचे Low होने के Chance भी बढ़ेंगे।
इसलिए कई बार देखा गया है कि कुछ Centralized तकनीक पर काम करने वाली Cryptocurrency के Admin अपने हिसाब से Rate को कम या ज्यादा कर देते हैं और खुद बड़ा मुनाफा कमा लेते हैं और इस बीच में पैसे को दूसरे जगह में Invest करके वहाँ से भी पैसे कमा ले जाते हैं इसलिए आप पैसा Invest करते समय Currency के बारे में पूरा और अच्छा से Research जरूर कर लें।
*NOTE – हम यहाँ पर किसी भी Company का नाम नहीं ले सकते हैं नहीं तो वो हम पर Investors को Misleading करने का Case कर सकते हैं। अमेरिका में ऐसा Case आए दिनों देखने को मिलता है। थोड़ी टिप्पणी भी महँगी पड़ सकती है।
Proof of Work क्या है और यह Cryptocurrency को कैसे Control करती है
Proof of Work एक ऐसा Protocol है जो Users के द्वारा किये जाने वाले Transaction को अपने स्तर पर एक तरह से Verify करता है Cryptocurrency के Miners के पास बहुत ही Powerful Computer होते हैं जिसमें Transaction के Encrypted Protocol को तेजी से Verify करके Transaction को Complete करना होता है हालाकि यह प्रक्रिया समय के साथ Super Fast Process होता जा रहा है क्योंकि Miners ही आपके Transaction को Validate करते हैं।
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मान लीजिये कि आप एक Ethereum के Cryptocurrency में 1 Coin को Buy या Sell करते हैं तो Ethereum से जुड़े Network के सभी Users को पता चल जाता है कि (उदाहरण)123XYZ के Public Key के द्वारा Ethereum के 1 Coin को Buy या Sell किया गया है इस तरह से Blockchain की तकनीक से सभी Users को Public Ledger (बही खाता) की तरह पारदर्शिता बनाए रखता है ध्यान रखें कि Public Key ही आपकी पहचान है इसमें ना तो आपका नाम Show होगा ना ही किसी भी प्रकार की पहचान उजागर की जायेगी।
Blockchain Network के प्रकार
Blockchain Network को मुख्य रूप से हम 4 प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं
1. Public Blockchain
2. Private Blockchain
3. Consortium Blockchain
4. Hybrid Blockchain
1. Public Blockchain –
Public Blockchain का Use कोई भी Users कर सकता है। Public Blockchain से जुड़े Network के सभी Users को पता चल जाता है कि किस Public Key के द्वारा (उदाहरण)123XYZ567 के द्वारा Bitcoin के 1 Coin को Buy या Sell किया गया है इस तरह से Public Blockchain की तकनीक से सभी Users को Public Ledger (बही खाता) की तरह पारदर्शिता बनाए रखता है। उदाहरण के लिए Bitcoin, Ethereum, Namecoin आदि ये सभी Public Blockchain हैं जिसमें जो भी Transaction की Details को Blocks में Store होता चला जाता है Transaction की Details को एक ही जगह Store नहीं किया जाता है बल्कि बहुत सारे Computers में Store होती है या जिसे हम Nodes भी कहते हैं।
2. Private Blockchain –
Private Blockchain एक Closed Source आधारित Network है जिसका उपयोग हर कोई नहीं कर सकता है अर्थात इस Private Blockchain में काम करने के लिए आपको Network के Admin से अनुमति Permission लेना पड़ेगा और Admin की सहमति से ही आप किसी लेनदेन को सुरक्षित ढंग से है पूरा कर सकते हैं।
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ध्यान रहे Private Blockchain को नियंत्रण पूरी तरह से Network Admin के पास होती है। Private Blockchain में काम करने के लिए केवल Admin के द्वारा Selected Users ही काम कर सकते हैं क्योंकि यह एक निश्चित दायरे के अंदर रहकर अपना काम करती है। Private Blockchain के उदाहरण में Ripple, Hyperledger आदि इनके अंतर्गत आते हैं।
3. Consortium Blockchain –
Consortium Blockchain लगभग Public और Private के बीच की कड़ी है जिसमें Public Blockchain और Private Blockchain को Balanced किया गया होता है जहाँ पर Users के कुछ Transaction या Information को Public Mode या तो Private Mode पर रखना है।
ध्यान रहे कि यह Company के द्वारा पहले ही कुछ Pre Selected (पहले से निर्धारित) Users के Blocks को ही Authorized किया गया होता है जिसके Ledger को Use करना होता है। यहाँ पर Quorum, Hyperledger और Corda जो कि Consortium Blockchain का सबसे अच्छा उदहारण है।
4. Hybrid Blockchain –
Hybrid Blockchain एक ऐसी तकनीक है जो मुख्य रूप से Public Blockchain और Private Blockchain के द्वारा मिलकर बना हुआ होता है। Hybrid Blockchain Network में Admin के द्वारा Confirm किया जाता है किस जानकारी को Company के द्वारा Public रखना है और किस जानकारी को Private रखना है।
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Hybrid Blockchain में होने वाले Transaction लेन देन को मुख्य रूप से Private ही रखा जाता है। XDC एक Hybrid Blockchain का उदहारण है जिसे XinFin नामका Singapore की Company के द्वारा चलाया जाता है जिसमें कुछ जानकारी Public Users और Private Users के लिए है।
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मैं उम्मीद करती हूँ दोस्तों कि अब आपको Blockchain Kya Hai ब्लॉकचैन क्या है को समझने में कोई दिक्कत नहीं होगी और अगर Altcoin से सम्बंधित कोई प्रश्न आपके मन में है तो आप हमसे Comments में पूछ सकते हैं।
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