Aaj Ka Panchang 15 July 2023 आज का पंचांग

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Aaj Ka Panchang

🙏 श्री गणेशाय नम:🙏
🙏आप सभी को श्रावण शिवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ भगवान शिव की कृपा हम सब पर बनी रहे।
📝आज दिनांक 📜 15 जुलाई 2023 शनिवार

आज का पंचांग

नई दिल्ली अनुसार
शक सम्वत – 1945
विक्रम सम्वत – 2080
मास – श्रावण
🌓 पक्ष – कृष्णपक्ष
🗒 तिथि – त्रयोदशी – 20:34 तक
🗒 पश्चात् – चतुर्दशी
🌠 नक्षत्र – मृगशिरा – 24:23 तक
🌠 पश्चात् – आर्द्रा
💫 करण – गर – 07:53 तक
💫 पश्चात् – वणिज
✨ योग – वृद्धि – 08:20 तक
✨ पश्चात् – ध्रुव
🌅 सूर्योदय – 05:32
🌄 सूर्यास्त – 19:20
🌙 चन्द्रोदय – 27:52
🌛 चन्द्रराशि – वृषभ – 11:22 तक
🌛 पश्चात् – मिथुन
🌞 सूर्यायण – दक्षिणायन
🌞 गोल – दक्षिणगोल
💡 अभिजित – 11:59 से 12:54
🤖 राहुकाल – 08:59 से 10:43
🎑 ऋतु – वर्षा
⏳ दिशाशूल – पूर्व

Today Panchang in Hindi

✍️ आज विशेष
🔅आज शनिवार को 👉 श्रावण बदी त्रयोदशी 20:34 तक पश्चात् चतुर्दशी शुरु, श्रावण शिवरात्रि व्रत, शनि प्रदोष व्रत, विघ्नकारक भद्रा 20:33 से, संत नामदेव महाराज पुण्यतिथि (मराठी कलेंडर अनुसार, कन्फर्म कर लें), श्री कामाक्षी कुमारस्वामी कामराज नादेर जयन्ती, श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” जन्म दिवस, श्री भूपेन्द्रभाई पटेल जन्म दिवस, ब्रिगेडियर मोहम्मद उसमान जयन्ती व विश्व युवा कौशल दिवस।
🔅कल रविवार को 👉 श्रावण बदी चतुर्दशी 22:09 तक पश्चात् अमावस्या शुरु।
🎯आज की भक्ति
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ! 
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!
भावार्थ 👉
हम विश्‍व में सुरभि फैलाने वाले, संपूर्ण जगत का पालन पोषण करने वाले त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की पूजा करते हैं। वह हमें मृत्यु के बंधनों से उसी प्रकार मुक्त कर दें जिस प्रकार एक ककड़ी पककर अपनी शाखा (डंठल) के बंधनों से मुक्त हो जाती है, वैसे ही हम मोक्ष को प्राप्त करें और मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।
🙏 जय भोलेनाथ🙏
🌻 आपका दिन मंगलमय हो जी 🌻

Today Panchang in Hindi

 

Aaj Ka Panchang 15 July 2023

🌞 आज के लिए विशेष ज्ञान की बातें 🌞

🌷 ‘प्रणव’ (ॐ) की महिमा (चतुर्दशी आर्द्रा नक्षत्र योग : 15 जुलाई 2023 शनिवार को रात्रि 12:23 से 16 जुलाई रात्रि 10:08 तक)

🙏🏻 सूतजी ने ऋषियों से कहा : “महर्षियों ! ‘प्र’ नाम है प्रकृति से उत्पन्न संसाररूपी महासागर का प्रणव इससे पार करने के लिए (नव) नाव है, इसलिए इस ॐकार को ‘प्रणव’ की संज्ञा देते हैं। ॐकार अपना जप करनेवाले साधकों से कहता है – ‘प्र –प्रपंच, न – नहीं है, व: – तुम लोगों के लिए।’ अत: इस भाव को लेकर भी ज्ञानी पुरुष ‘ॐ’ को ‘प्रणव’ नाम से जानते हैं। इसका दूसरा भाव है : ‘प्र – प्रकर्षेण, न – नयेत, व: -युष्मान मोक्षम इति वा प्रणव: अर्थात यह तुम सब उपासकों को बल पूर्वक मोक्ष तक पहुँचा देगा, इस अभिप्राय से भी ऋषि-मुनि इसे ‘प्रणव’ कहते हैं। अपना जप करने वाले योगियों के तथा अपने मंत्र की पूजा करनेवाले उपासको के समस्त कर्मो का नाश करके यह उन्हें दिव्य नूतन ज्ञान देता है, इसलिए भी इसका नाम प्रणव – प्र (कर्म क्षय पूर्वक) नव (नूतन ज्ञान देने वाला) है।

🙏🏻 इस मायारहित महेश्वर को ही नव अर्थात नूतन कहते हैं। वे परमात्मा प्रधान रूप से नव अर्थात शुद्धस्वरुप है, इसलिए ‘प्रणव’ कहलाते हैं। प्रणव साधक को नव अर्थात नवीन (शिवस्वरूप) कर देता है, इसलिए भी विद्वान पुरुष इसे प्रणव के नाम से जानते हैं अथवा प्र – प्रमुख रूप से नव – दिव्य परमात्म – ज्ञान प्रकट करता है, इसलिए यह प्रणव है।

🙏🏻 यध्यपि जीवन्मुक्त के लिए किसी साधन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह सिद्धरुप है, तथापि दूसरों की दृष्टि में जब तक उसका शरीर रहता है, टीवी तक उसके द्वारा प्रणव – जप की सहज साधना स्वत: होती रहती है। वह अपनी देह का विलय होने तक सूक्ष्म प्रणव मंत्र का जप और उसके अर्थभूत परमात्म-तत्त्व का अनुसंधान करता रहता है। जो अर्थ का अनुसंधान न करके केवल मंत्र का जप करता है, उसे निश्चय ही योग की प्राप्ति होती है। जिसने इस मंत्र का ३६ करोड़ जप कर लिया हो, उसे अवश्य ही योग प्राप्त हो जाता है। ‘अ’ शिव है, ‘उ’ शक्ति है और ‘मकार’ इन दोनों की एकता यह त्रितत्त्वरूप है, ऐसा समझकर ‘ह्रस्व प्रणव’ का जप करना चाहिए। जो अपने समस्त पापों का क्षय करना चाहते हैं, उनके लिए इस ह्रस्व प्रणव का जप अत्यंत आवश्यक है।

🙏🏻 वेद के आदि में और दोनों संध्याओं की उपासना के समय भी ॐकार का उच्चारण करना चाहिए। भगवान शिव ने भगवान ब्रम्हाजी और भगवान विष्णु से कहा : “मैंने पूर्वकाल में अपने स्वरूपभूत मंत्र का उपदेश किया है, जो ॐकार के रूप में प्रसिद्ध है। वह महामंगलकारी मंत्र है। सबसे पहले मेरे मुख से ॐकार ( ॐ ) प्रकट हुआ, जो मेरे स्वरूप का बोध करानेवाला है। ॐकार वाचक है और मैं वाच्य हूँ। यह मंत्र मेरा स्वरुप ही है। प्रतिदिन ॐकार का निरंतर स्मरण करने से मेरा ही सदा स्मरण होता है।

🙏🏻 मुनीश्वरो ! प्रतिदिन दस हजार प्रणवमंत्र का जप करें अथवा दोनों संध्याओं के समय एक-एक हजार प्रणव का जप किया करें। यह क्रम भी शिवप्रद की प्राप्ति करानेवाला है।

🙏🏻 ‘ॐ’ इस मंत्र का प्रतिदिन मात्र एक हजार जप करने पर सम्पूर्ण मनोरथों की सिद्धि होती है।

🙏🏻 प्रणव के ‘अ’ , ‘उ’ और ‘म’ इन तीनों अक्षरों से जीव और ब्रम्ह की एकता का प्रतिपादन होता है – इस बात को जानकर प्रणव ( ॐ ) का जप करना चाहिए। जपकाल में यह भावना करनी चाहिए कि ‘हम तीनों लोकों की सृष्टि करनेवाले ब्रम्हा, पालन करनेवाले विष्णु तथा संहार करनेवाले रुद्र जो स्वयंप्रकाश चिन्मय हैं, उनकी उपसना करते हैं। यह ब्रम्हस्वरूप ॐकार हमारी कर्मन्द्रियों और ज्ञानेन्द्रियों की वृत्तियों को, मन की वृत्तियों को तथा बुद्धि की वृत्तियों को सदा भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले धर्म एवं ज्ञान की ओर प्रेरित करें। प्रणव के इस अर्थ का बुद्धि के द्वारा चिंतन करता हुआ जो इसका जप करता है, वह निश्चय ही ब्रम्ह को प्राप्त कर लेता है। अथवा अर्थानुसंधान के बिना भी प्रणव का नित्य जप करना चाहिए।

🙏🏻 ( ‘शिव पुराण’ अंतर्गत विद्धेश्वर संहिता से संकलित )

👉🏻 भिन्न-भिन्न काल में ‘ॐ’ की महिमा

आर्दा नक्षत्र से युक्त चतुर्दशी के योग में (दिनांक 15 जुलाई 2023 शनिवार को रात्रि 12:23 से 16 जुलाई रात्रि 10:08 तक) प्रणव का जप किया जाय तो वह अक्षय फल देनेवाला होता है।

🙏 जय भोलेनाथ🙏
🌻 आपका दिन मंगलमय हो जी 🌻

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